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Tuesday, September 3, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी : दुआएँ मोहब्बत की लाये हुए हैं

दुआएँ  मोहब्बत की लाये हुए हैं 


हम फ़कीरों की बस्तीसे आये हुए हैं 
दुआएँ मोहब्बत की लाये हुये हैं 

खुशियाँ ज़माने की हों हर को मुबारक 
चरागे मोहब्बत जलाये हुए हैं 

सबा हमसे मंज़िल डगर पूछतीं है 
बता दो कि हम चमन ले के आये हुए हैं 

नफ़रत को शोलों की महफ़िल सजी है 
हम मोहब्बत की नजरें बिछाये हुए हैं 

सुबह करीब है न दिल कहीं घबरा जाये 
हम चाँद संग सूरज को लाये हुए हैं 

मेरे गुरुओं के पावों  पे मेरा सर है गिरा 
उनकी ख़िदमत में दिल ले के आये हुए हैं 

नमन आज गुरुजन को हम सब मिल  के करें 
हम जो भी हैं उन्ही के बनाये हुए हैं 

                            अज़ीज़ जौनपुरी 

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