रामनामी ओढ़ कर जो जप रहा है रूद्र - माला
है वही यह शख्स जिसके खूँ में लिखा है घोटाला
कर लिया है उसने देखो छद्म रूप ग्रहण कैसे
साधुवेश भेड़िया है औ है किसी मंत्री का साला
थी लूटी कल इसीनें आबरू, माथे पर लगा चन्दन
मिला ज़हर जिसने दवा में मुह कर दिया काला
क्या कहें, कैसे कहें, किसको कहें , इस भीड़ में
सजिसों के मुल्क में दाल में है कुछ तो काला
अर्थी उठ गई विश्वास की सत्य आग में है जल रहा
व्यभिचार चोरी औ डकैती का दिख रहा है बोलबाला
ले व्रत कत्ल खून औ फ़िरौती लूट पाट औ छिनैती
रक्षक बन के भक्षक देखो जप रहे अन्याय-मला
देखो कहीं ये इस मुल्क को न नीलाम कर दें
सिर्फ ख़ुदा ही बचा है मुल्क का एक रखवाला
अज़ीज़ जौनपुरी
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